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1. अमर बेलि बिनु मूल की, प्रतिपालत…
1. कौन बड़ाई जलधि मिलि, गंग नाम…
1. कागद को सो पूतरा, सहजहि मैं…
1. दिव्य दीनता के रसहिं, का जाने…
1. पाइ महावर दैंन कौं नाइनि बैठी…
1. प्रेम अयनि श्रीराधिका, प्रेम-बरन…
1. जानराय ! जानत सबैं, अन्तरगत…
1. रहिमन असमय के परे, हित अनहित…
1. रहिमन निज संपति बिना, कोउ…
1. रहिमन धोखे भाव से, मुख से…
1. जो जातें जामें बहुरि जा हित…
1. रहिमन सुधि सबतें भली, लगै…
अकुलानि के पानि पर्यौ दिनराति सु ज्यौ छिनकौ न कहूँ…
अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।कैसे रहैं रूपरसराची…
1. लगी अनलगी सी जु बिधि करी खरी…
1. सायक-सम मायक नयन, रँगे बिबिध…
अति मलीन बृषभानुकुमारी।हरि स्रमजल अंतर तनु…
1. अति सूछम कोमल अतिहि, अति पतरो…
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नैकु सयानप बाँक नहीं। Read More
1. अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More
अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है, …
अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो, …
अन्तर आँच उसास तचै अति अंग उसीजै उदेग की आवस। Read More
अन्तर उदेग दाह आँखिन प्रवाह-आँसू …
1. अपने अंग के जानि कै जोबन-नृपति…
1. अंतर दाव लगी रहै धुआँ न प्रगटै…
1. अनुचित उचित रहीम लघु, करहिं…
1. कंचनतन-धन-बरन बर रह्यौ रंगु…
1. अहे, दहेंड़ी जिनि धरै, जिनि…
आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग …
आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More
आए जोग सिखावन पाँड़े।परमारथी पुराननि लादे…
आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More
आजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं। Read More
1. आनँद-अनुभव होत नहिं, बिना…
आयो घोष बड़ो व्यापारी।लाद खेंप गुन ज्ञान जोग…
आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो। Read More
आस ही अकास मधि अवधि गुनै बढ़ाय …
आसा-गुन बाँधि कै भरोसो-सिल धरि छाती …
इत बाँट परी सुधि, रावरे भूलनि कैंसे उराहनो दीजियै…
इत भायनि भाँवरे भौंर भरै उत चायनि चाहि चकोर चकैं। Read More
उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।सुरति सँदेस सुनाय…
उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।जदुपति जोग जानि जिय…
उपमा एक न नैन गही।कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…
उर में माखनचार गड़े।अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…
1. ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु…
ऊधो! मन माने की बात।जरत पतंग दीप में…
ऊधो! अब यह समुझ भई।नँदनंदन के अंग अंग प्रति…
ऊधो! इतनी कहियो जाय।अति कृसगात भई हैं तुम…
ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?सुमिरि सुमिरि गुन…
ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै।स्याम तुम्है ह्याँ…
ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।तब यह जोग मोट हम आगे…
ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।बाँधहु गाँठि कहूँ…
ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।आपु कहत हम सुनत…
ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।जेहि पहिले रँग रँगी…
ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।अपरस रहत सनेह तगा…
ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास।कहत सुनत घट…
ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।प्रीति पतंग जरै…
ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।ता पाछे यह सिद्धि…
ऊधो! ब्रज में पैठ करी।यह निर्गुन गाँठरी अब…
ऊधो! भली करी तुम आए।ये बातें कहि कहि या दुख…
ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।रथ चढ़ाय हरि संग गए…
ऊधो! हम अजान मति भोरी।जानति है ते जोग की…
ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।जैसे सुमन गंध लै आवतु…
1. एकै साधे सब सधै, सब साधे सब…
एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ …
एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More
ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!ज्यो त्रिदोष उपजे जक…
ऐसेई जन दूत कहावत।मोको एक अचंभो आवत यामें…
कंत रमैं उर अंतर में सु लहै नहीं क्यौं सुखरासि…
1. कब कौ टेरतु दीन रट, होत न…
कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।पूछत नंद पिता…
1. कमलतंतु सों छीन अरु, कठिन…
1. भृकुटी-मटकनि, पीतपट-चटक, लटकती…
कल कानन कुण्डल मोरपखा उर पैं बनमाल बिराजति है। Read More
1. दियौ अरघु, नीचैं चलौ, संकटु…
कहाँ एतो पानिप बिचारी पिचकारी धरै, …
1. कहा करौं बैकुंठ लै, कल्प बृच्छ…
कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा, …
कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…
कहिबे जोय न कछु सक राखो।लावा मेलि दए हैं…
कहियो नंद कठोर भए।हम दोउ बीरैं डारि परघरै…
कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई।अतिहि अगाध अपार अगोचर…
1. ऊगत जाही किरन सों अथवत ताही…
कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More
कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More
कारी कूर कोकिला कहाँ को बैर काढ़ति री, …
काहे को रोकत मारग सूधो ?सुनहु मधुप ! निर्गुन…
1. कुटिल अलक छुटि परत मुख बढ़िगौ…
1. कुटिलन संग रहीम कहि साधू बचते…
1. पट सौं पोंछि परी करौ, खरी-भयानक-भेष। Read More
कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।कत लिखि लिखि पठवत…
कोऊ आवत है तन स्याम।वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…
कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाई है बाँसुरिया रंग भीनी। Read More
1. निज करनी सकुचेहिं कत सकुचावत…
क्यों हँसि हेरि हर्यो हियरा अरु क्यौं हित कै चित…
खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More
1. ओछो काम बड़े करैं तो न बड़ाई…
खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन कों धरि कै। Read More
खोय दई बुधि सोय गई सुधि रोय हँसे उनमाद जग्यो है। Read More
1. चलन न पावतु निगम-मगु जगु,…
गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन …
1. कोउ रहीम जनि काहु के, द्वार…
गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं Read More
गोकुल सबै गोपाल उपासी।जोग अंग साधत जे ऊधो…
गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल …
घनआनँद जीवनमूल सुजान की कौंधनहूँ न कहूँ दरसै। Read More
घर ही घर चौचँद-चाँचरि दै बहु भाँतिन रंग रचाय रह्यौ। Read More
चंद चकोर की चाह करै घनआनँद स्वाति पपीहा कौं धावै। Read More
1. छुटे छुटावत जगत तैं सटकारे,…
चातिक चुहल चहुँ ओर चाहै स्वाति ही को। …
1. प्रलय-करन बरषन लगे जुरि जलधर…
गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More
सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More
शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More
लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More
गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More
छबि को सदन मोद मंडित बदन-चंद …
1. नैंकौ उहिं न जुदी करी, हरषि…
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै …
1. जगतु जनायौ जिहिं सकलु, सो…
1. लसतु सेतसारी-ढप्यौ, तरल तर्यौना…
जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं …
जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन कानि तजी घर बन्धन…
जा दिन तें वह नन्द को छोहरो या बन धेनु चराइ गयो…
1. स्वारथमूल अशुद्ध त्यों, शुद्ध…
जान के रूप लुभाय के नैननि बेंचि करी अधबीच ही लौंडी। Read More
जासों प्रीति ताहि निठुराई सों निपट नेह, …
जीवन मुँहचाही को नीको।दरस परस दिनरात करति…
1. जे गरीब पर हित करैं ते रहीम…
1. जेति संपति कृपन कैं, तेती…
1. प्रेमफाँस में फँसि मरै, सोई…
1. जेहि अंचल दीपक दुर्यो, हन्यो…
1. करम हीन रहिमन लखो धँसो बड़े…
1. जैसी तुम हमसों करी, करी करो…
जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।यह ब्योपार तिहारो…
जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर …
1. जौ न जुगति पिय मिलन की, धूरि…
झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छ्वै। Read More
1. जोग-जुगति सिखए सबै मनौ…
1. तन रहीम है कर्म बस, मन राखो…
तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे। Read More
तबहि उपँगसुत आय गए।सखा सखा कछु अंतर नाहीं…
1. तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर…
तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?दृष्टिधार करि…
तेरो बुरो न कोऊ मानै।रस की बात मधुप नीरस,…
1. तैं रहीम मन आपुनो, कीन्हों…
तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु …
तौ हम मानैं बात तुम्हारी।अपनो ब्रह्म दिखावहु…
1. नेहु न, नैननु कौं कछू उपजी…
1. जैसी जाकी बुद्धि है तैसी कहै…
1. जो रहीम दीपक दसा, तिय राखत…
दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल, …
दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि …
1. नीकी दई अनाकनी, फीकी परी गुहारि। Read More
1. देनहार कोउ और है, भेजत सो…
1. दुरदिन परे रहीम कहि, दुरथल…
धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…
नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम …
नयननि वहै रूप जौ देख्यो।तौ ऊधो यह जीवन जग…
1. हितु करि तुम पठयौ, लगैं वा…
1. नाद रीझि तन देत मृग, नर धन…
नाहिं न रह्यो मन में ठौर।नंदनंदन अछत कैसे…
निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More
निर्गुन कौन देस को वासी ?मधुकर ! हँसि समुझाय,…
1. निसि अंधियारी, नील पटु पहिरि,…
निसि-द्यौस खरी उर-माँझ अरी, छबि रंग-भरी मुरि चाहनि…
नीके रहियो जसुमति मैया।आवैंगे दिन चारि पाँच…
नेह-निधान सुजान-समीप तौ सींचति ही हियरा सियराई। Read More
नैन लख्यो जब कुंजन तें वन तें निकस्यो अँटक्यो मटक्यो…
1. नैना नैंक न मानहीं, कितौ कह्यौ…
नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More
1. अंग अंग छबि की लपट उपटति जाति…
पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।आवैंगे हम दोनों भैया,…
1. घनआनँद रसऐन, कहौ कृपानिधि…
1. पहिरत हीं गोरैं गरैं यौं दौरी…
पहिलें घनआनँद सींचि सुजान कहीं बतियाँ अति प्यार…
पाती सखि! मधुबन तें आई।ऊधो हाथ स्याम लिखि…
पाती-मधि छाती-छत लिखि न लिखाए जाहिं …
पाप के पुंज सकेलि सु कौन धौं आन घरी मैं बिरंचि…
पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी, …
प्रकृति जोइ जाके अंग परी।स्वानपूँछ कोटिक…
1. प्रीतम छबि नैननि बसी पर छबि…
1. इकअंगी बिनु कारनहि, इकरस सदा…
फागुन महीना की कही ना परै बातै दिन- …
फागुन लाग्यो सखी जब तें तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यो…
फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।दुसह वचन अलि यों…
बंक बिलोकनि है दुखमोचन दीरघ लोचन रंग भरे हैं। Read More
बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More
1. बड़े बड़ाई नहिं तजैं, लघु रहीम…
बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै गति रावरी क्यौंहूँ…
बरु वै कुब्जा भलो कियो।सुनि सुनि समाचार ऊधो…
1. रहिमन नीच प्रसंग ते नित प्रति…
बिकच नलिन लखें सकुचि मलिन होति, …
बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि, …
1. पावस देखि रहीम मन कोइल साधे…
बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।तब ये लता लगति…
1. पसरि पत्र झँपहि पितहिं, सकुचि…
बिरहा-रबि सौं घट-ब्योम तच्यो बिजुरी सी खिबैं इकली…
बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।वह मथुरा काजर…
1. बेसरि-मोती-दुति-झलक परी ओठ…
ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों …
ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी।बिन गोपाल और नहिं…
भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी, …
1. भजन कह्यौ, तातैं भज्यौ; भज्यौ…
1. भजौं तो काको मैं भजौं, तजौं…
भोर ते साँझ लौ कानन ओर निहारति बावरो नेकु न हारति। Read More
भौंह भरी बरुनी सुथरी अतिसै अधरानि रंगी रंग रातौ। Read More
मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More
1. बहके, सब जिय की कहत, ठौरु…
मधुकर! ये नयना पै हारे।निरखि निरखि मग कमलनयन…
मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।भली स्याम कुसलात…
मधुकर! हम न होहि वे बेली।जिनको तुम तजि भजत…
1. मनि मनिक महँगे किये, सस्तो…
1. मनिसिज माली की उपज, कहि रहीम…
मही-दूध सम गनै हंस-बक भेद न जानै।कोकिल-काक…
1. मान सरोवर ही मिले, हंसनि मुक्ता…
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के…
मीत सुजान अनीत करौ जिन, हाहा न हूजियै मोहि अमोही। Read More
1. मुकता कर करपूर कर, चातक जीवन…
1. मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि…
मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव …
मैन मनोहर बैन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है। Read More
1. मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माल गरें पहिरौंगी। Read More
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। Read More
1. पै एतो हूँ हम सुन्यौ, प्रेम…
रंग लियौ अबलानि के अंग तें च्वाय कियौ चितचैन को…
1. यों रहीम तन हाट में, मनुआ…
1. रहिमन अँसुआ नयन ढरि जिय दुख…
1. रहिमन कबहुँ बड़ेन के, नाहिं…
1. रहिमन खोटी आदि की, सो परिनाम…
1. यों रहीम सुख दुख सहत, बड़े…
1. रहिमन तीन प्रकार ते हिम अनहित…
1. रहिमन जग जीवन बड़े, काहु न…
1. रहिमन पानी राखिए बिन पानी…
1. जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन…
1. ससि की सीतल चाँदनी, सुंदर,…
1. रहिमन ब्याह बियाधि है सकहु…
1. रहिमन मारग प्रेम को, मत मतिहीन…
1. रहिमन या तन सूप है, लीजै जगत…
राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख …
रावरे रूप की रीति अनूप, नयो नयो लागत ज्यौं ज्यौं…
लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।कहा…
लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी …
1. जसु अपजसु देखत नहीं देखत साँवल-गात। Read More
1. डीठि न परतु समान-दुति कनकु…
1. रहिमन दुरदिन के परे, बड़ेन…
लोक की लाज तजी तबहीं जब देख्यो सखी ब्रजचन्द सलोनो। Read More
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै …
वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…
सँदेसनि मधुबन कूप भरे।जे कोउ पथिक गए हैं…
संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब …
1. रहिमन रहिला की भली, जो परसै…
1. समय पाय फल होत है, समय पाय…
1. छोटेन सो सोहैं बड़े, कहि रहीम…
1. नाह गरजि नाहर-गरज, बोलु…
सुधा तें स्रवत बिष, फूल मैं जमत सूल, …
सुनि री सजनी रजनी की कथा इन नैन-चकोरन ज्यौं बितई। Read More
सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली। Read More
सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।ता…
सेस सुरेस दिनेस गनेस प्रजेस धनेस महेस मनाओ। Read More
सोंधे की बास उसासहि रोकति चंदन दाहक गाहक जी को। Read More
सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी…
1. स्वेद-सलिलु, रोमांच-कुसु गहि…
हम तो कान्ह केलि की भूखी।कैसे निरगुन सुनहि…
हम तो नंदघोष की बासी।नाम गोपाल जाति कुल गोपहि,…
हमको हरि की कथा सुनाव।अपनी ज्ञानकथा हो, ऊधो…
हमसों कहत कौन की बातें ?सुनि ऊधो ! हम समुझत…
हमारे हरि हारिल की लकरी।मन बच क्रम नँदनंदन…
हरि काहे के अंतर्जामी ?जौ हरि मिलत नाहिं…
1. हरि के सब आधीन, पै हरी प्रेम-आधीन। Read More
हरि सों भलो सो पति सीता को।बन बन खोजत फिरत…
हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।ता दिन तें मनो…
हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानि समाने। Read More