गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल

पीछे

गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल
    आगे गैया पाछे ग्वाल गावै मृदु तान री।
तैसी धुनि बाँसुरी मधुर मधुर तैसी
       बंक चितवनि मंद मंद मुसकानि री।।
कदम विटप के निकट तटनी के आव
      अटा चढ़ि चाहि पीत पट फहरानि री।
रस बरसावै तन तपन बुझावै नैन
      प्राननि रिझावै वह आवै रसखानि री।।  

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