हरि काहे के अंतर्जामी
पीछेहरि काहे के अंतर्जामी ?
जौ हरि मिलत नाहिं यहि औसर, अवधि बतावत लामी।
अपनी चोप जाय उठि बैठे और निरस बेकामी।
सो कह पीर पराई जानै जो हरि गरुड़ागामी।
आई उघरि प्रीति कलई सी जैसे खाटी आमी।
सूर इते पर अनख मरति हैं ऊधो, पीवत मामी।।
हरि काहे के अंतर्जामी ?
जौ हरि मिलत नाहिं यहि औसर, अवधि बतावत लामी।
अपनी चोप जाय उठि बैठे और निरस बेकामी।
सो कह पीर पराई जानै जो हरि गरुड़ागामी।
आई उघरि प्रीति कलई सी जैसे खाटी आमी।
सूर इते पर अनख मरति हैं ऊधो, पीवत मामी।।