भजन कह्यौ, तातैं भज्यौ
पीछे1. भजन कह्यौ, तातैं भज्यौ; भज्यौ न एकौ बार।
दूरि भजन जातैं कह्यौ, सो तैं भज्यौ, गँवार।।
2. पतवारी माला पकरि, और न कछू उपाइ।
तरि संसार-पयोधि कौं, हरि-नावैं करि नाउ।।
3. यह बरिया नहिं और की, तूँ करिया बह सोधि।
पहन-नाव चढ़ाइ जिहिं कीने पार पयोधि।।
4. समै-पलट पलटै प्रकृति, को न तजै निज चाल।
भौ अकरुन करुनाकरौ इहिं कपूत कलिकाल।।