तबहि उपँगसुत आय गए
पीछेतबहि उपँगसुत आय गए।
सखा सखा कछु अंतर नाहीं भरि भरि अंक लए।
अति सुंदर तन स्याम सरीखो देखत हरि पछिताने।
ऐसे को वैसी बुधि होती ब्रज पठवै तब आने।
या आगे रसकाव्य प्रकासे जोग बचन प्रगटावै।
सूर ज्ञान दृढ़ याके हिरदय जुवतिन जोग सिखावै।।