रहिमन ब्याह बियाधि है सकहु तो जाहु बचाय

पीछे

1.    रहिमन ब्याह बियाधि है सकहु तो जाहु बचाय।
        पाँयन में बेड़ी परत है ढोल बजाय बजाय।।


2.    जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं, यह रहीम जग जोय।
        मँड़ए तर की गाँठ में, गाँठ गाँठ रस होय।।  
 

पुस्तक | रहीम रचनावली कवि | रहीम भाषा | ब्रजभाषा रचनाशैली | मुक्तक छंद | दोहा