जो रहीम भावी कतौं, होति आपुने हाथ
पीछे1. करम हीन रहिमन लखो धँसो बड़े घर चोर।
चिंतन ही बड़ लाभ के जागत ह्वै गो भोर।।
2. ज्यों नाचत कठपूतरी करम नचावत गात।
अपने हाथ रहीम ज्यों नहीं आपुने हाथ।।
3. जो पुरुषारथ ते कहूँ, संपति मिलत रहीम।
पेट लागि वैराट घर, तपत रसोई भीम।।
4. जो रहीम भावी कतौं, होति आपुने हाथ।
राम न जाते हरिन संग, सीय न रावन साथ।।
5. जो रहीम होती कहूँ, प्रभु-गति अपने हाथ।
तौ कोधौं केहि मानतो, आप बड़ाई साथ।।