पहिरत हीं गोरैं गरैं यौं दौरी दुति, लाल
पीछे1. पहिरत हीं गोरैं गरैं यौं दौरी दुति, लाल।
मनौ परसि पुलकित भई बौलसिरी की माल।।
2. ज्यौं ज्यौं आवति निकट निसि, त्यौं त्यौं खरी उताल।
झमकि झमकि टहलैं करै लगी रहचटैं बाल।।
3. उरु उरझ्यौ चितचोर सौं, गुरु गुरुजन की लाज।
चढ़ैं हिंडोरैं सैं हियैं कियैं बनै गृह-काज।।
4. भेटत बन न भावतौ, चितु तरसतु अति प्यार।
धरति लगाइ लगाइ उर भूषन, बसन, हथ्यार।।
5. पिय कैं ध्यान गही गही रही वही ह्वै नारि।
आपु आपु हीं आरसी लखि रीझति रिझवारि।।