नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम

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नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम
            एक गाँव बसौ स्याम भोर भए बादी हो।
जमुना के तीर तुम चीर हू चुराइ रहौ
          ताहू की न लाज आई ओर के फसादी हो।
रोकत हो टोकत हौ बाट माहि साट खाह
            माट फोरि चाटौ दही यही गुन आदी हो।
जौ कहूँ बैठारिहौ न पारिहौ रुआब माहि
       नोन की न गोन ली है आदी हूँ न लादी हो।। 

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