सोहत है चँदवा सिर मौर
पीछेसोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी है।
तैसियै गोरज भाल बिराजति जैसी हिये बनमाल लसी है।।
रसखानि बिलोकत बौरी भई दृग मूंदि कै ग्वालि पुकारि हँसी है।
खोलि री घूँघट खोलौं कहा वह मूरति नैननि माँझ बसी है।।
सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी है।
तैसियै गोरज भाल बिराजति जैसी हिये बनमाल लसी है।।
रसखानि बिलोकत बौरी भई दृग मूंदि कै ग्वालि पुकारि हँसी है।
खोलि री घूँघट खोलौं कहा वह मूरति नैननि माँझ बसी है।।