बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै
पीछेबधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै गति रावरी क्यौंहूँ न बूझि परै।
मति आवरी बावरी ह्वै जकि जाय उपाय कहूँ किन सूझि परै।
घनआनँद यौं अपनाय तजी इन सोचनि ही मन मूझि परै।
दिन रैन सुजान बियोग के बान सहै जिय पापी न जूझि परै।।
बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै गति रावरी क्यौंहूँ न बूझि परै।
मति आवरी बावरी ह्वै जकि जाय उपाय कहूँ किन सूझि परै।
घनआनँद यौं अपनाय तजी इन सोचनि ही मन मूझि परै।
दिन रैन सुजान बियोग के बान सहै जिय पापी न जूझि परै।।