बजी है बजी रसखानि बजी

पीछे

बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै।
न जीहै कोऊ जो कदाचित कामिनी कानि मै वाकी जु तान कू पी है।।
कु पीहै बिदेस सँदेस न पावति मेरी व देह को मैन सजी है।
सजी है तो मेरो कहा बस है सु तौ बैरिनि बाँसुरी फेरि बजी है।।

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