रहिमन या तन सूप है, लीजै जगत पछोर
पीछे1. रहिमन या तन सूप है, लीजै जगत पछोर।
हलुकन को उड़ि जान दै, गरुए राखि बटोर।।
2. रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
ज्यों बड़री अँखियाँ निरखि, आँखिन को सुख होत।।
3. रहिमन रजनी ही भली, पिय सों होय मिलाप।
खरो दिवस किहि काम को रहिबो आपुहि आप।।
4. रहिमन राम न उर धरै, रहत विषय लपटाय।
पसु खर खात सवादसों, गुर गुलियाए खाय।।
5. सब को सब कोऊ करै, कै सलाम कै राम।
हित रहीम तब जानिए, जब कछु अटकै काम।।