याही तें सब मुक्ति तें, लही बड़ाई प्रेम
पीछे1. पै एतो हूँ हम सुन्यौ, प्रेम अजूबो खेल।
जाँबाजी बाजी जहाँ, दिल का दिल से मेल।।
2. सिर काटो, छेदो हियो, टूक टूक करि देहु।
पै याके बदले बिहँसि, वाह वाह ही लेहु।।
3. अकथ-कहानी प्रेम की, जानत लैली खूब।
दो तनहूँ जहँ एक भे, मन मिलाई महबूब।।
4. दो मन इक होते सुन्यो, पै वह प्रेम न आहि।
होइ जबै द्वै तनहुँ इक, सोई प्रेम कहाहि।।
5. याही तें सब मुक्ति तें, लही बड़ाई प्रेम।
प्रेम भए, नस जाहिं सब, बँधे जगत के नेम।।