संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब

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संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब
         तातें न महान और दूसर अवरेख्यौ मैं।
कहै रसखान वही बालक सरूप धरै
      जाको कछु रूप रंग अद्भुत अवलेख्यौ मैं।
कहा कहूँ आली कछु कहती बनै न दसा
     नन्दजी के अँगना में कौतुक एक देख्यौ मैं।
जगत को ठाटी महापुरुष विराटी जो
    निरंजन निरीटी ताहि माटी खात देख्यौ मैं।।
 

पुस्तक | सुजान रसखान कवि | रसखान भाषा | ब्रजभाषा रचनाशैली | मुक्तक छंद | घनाक्षरी