बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि
पीछेबिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि,
दामिनिहूँ लहकि बहकि यौं जर्यौ करै।
जीवन-अधार-पन-पूरित पुकारनि सौं,
आरत पपीहा निति कूकनि कर्यौ करै।
अथिर उदेग-गति देखि कै अनँदघन,
पौन बिडर्यौ सो बनबीथिन रर्यौ करै।
बूँदैं न परति मेरे जान जान प्यारी तेरे
बिरही को हेरि मेघ आँसुनि झर्यौ करै।।