आजु गई हुती भोरही हौं
पीछेआजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं।
बाको जियौ जुग लाख करोर जसोमति को सुख जात कह्यौ नहिं।।
तेल लगाइ लगाइ कै अंजन भौंह बनाइ बनाइ डिठौनहिं।
डालि हमेलनि हार निहारत बारत ज्यौं चुचकारत छौनहिं।।
आजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं।
बाको जियौ जुग लाख करोर जसोमति को सुख जात कह्यौ नहिं।।
तेल लगाइ लगाइ कै अंजन भौंह बनाइ बनाइ डिठौनहिं।
डालि हमेलनि हार निहारत बारत ज्यौं चुचकारत छौनहिं।।