बेसरि-मोती-दुति-झलक परी
पीछे1. बेसरि-मोती-दुति-झलक परी ओठ पर आइ।
चूनौ होइ न चतुर तिय, क्यों पट-पोछ्यों जाइ।।
2. दुरत न कुच बिच कंचुकी चुपरी, सारी सेत।
कवि-आँकनु के अरथ लौं प्रगटि दिखाई देत।।
3. सोनजुही सी जगमगति अँग अँग जोबन-जोति।
सुरँग, कसूँभी कंचुकी दुरँग देह-दुति होति।।
4. चिलक, चिकनई, चटक सौं लफति सटक लौं आइ।
नारि सलोनी साँवरी नागिनि लौं डसि जाइ।।
5. मिलि चंदन-बेंदी रही गौरैं मुँह न लखाइ।
ज्यौं ज्यौं मद-लाली चढ़ै, त्यौं त्यौं उघरति जाइ।।