पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी
पीछेपीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी,
कीनी है अनंग अंग अंग रंग-बोरी सी।
नैन पिचकारी ज्यौं चल्यौई करे दिनरैन,
बगराए बारनि फिरति झकझोरी सी।
कहाँ लौ बखानों घनआनँद दुहेली दसा,
फागमई भई जान प्यारे वह भोरी सी।
तिहारे निहारे बिन प्राननि करति होरा,
बिरह-अँगारनि मगारि हिय होरी सी।।