तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर करहिं न पान
पीछे1. तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर करहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित संपति सँचहि सुजान।।
2. रहिमन पर उपकार के करत न यारी बीच।
मांस दियो शिवि भूप ने दीन्हों हाड़ दधीच।।
3. वे रहीम नर धन्य हैं पर उपकारी अंग।
बाँटनवारे को लगे ज्यों मेंहदी को रंग।।
4. तब ही लौ जीबो भलो, दीबो होय न धीम।
जग में रहिबो कुचित गति, उचित न होय रहीम।।
5. तासों ही कछु पाइए, कीजै जाकी आस।
रीते सरवर पर गये, कैसे बुझे पियास।।
6. धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय।
उदधि बड़ाई कौन हे, जगत पिआसो जाय।।