भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी

पीछे

भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी,
     याही दुख हमैं जक लागी हाय हाय है।
तुम तौ निपट निरदई, गई भूलि सुधि,
     हमैं सूल सेलनि सो क्योंहूँन भुलाय है।
मीठे मीठे बोल बोलि ठगी पहिलें तौ तब,
     अब जिय जारत कहौ धौ कौन न्याय है।
सुनी है कै नाहीं, यह प्रगट कहावति जू,
     काहू कलपायहै सु कैसे कल पायहै।     

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