ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों
पीछेब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों
दूनी सकुचाई दीठि परै न जुन्हैया की।
नेकु मुसकानि रसखानि की बिलोकत ही
चेरी होत एक बार कुंजनि दिखैया की।
मेरो कह्यो मानि अंत मेरो गुन मानि हैरी
प्रात खात जात ना सकात सौंह भैया की।
माइ की अँटक जौलौं सासु की हटक तौलौं
देखी ना लटक मेरे दूलह कन्हैया की।