को ललचाइ न लाल के लखि ललचौंहैं नैन
पीछे1. पट सौं पोंछि परी करौ, खरी-भयानक-भेष।
नागिनि ह्वै लागति दृगनु नागबेलि-रँग-रेख।।
2. तो लखि मो मन जो लही, सो गति कही न जाति।
ठोड़ी-गाड़ गड़्यौ, तऊ उड़्यौ रहै दिन राति।।
3. जात सयान अयान ह्वै, वे ठग काहि ठगैं न।
को ललचाइ न लाल के लखि ललचौंहैं नैन।।