पथिक ! सँदेसो कहियो जाय
पीछेपथिक ! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया, मैया जनि अकुलाय।
याको बिलगु बहुत हम मान्यो जो कहि पठयो धाय।
कहँ लौ कीर्ति मानिए तुम्हरो बड़ो कियो पय प्याय।
कहियो जाय नंद बाबा सों, अरु गहि पकर्यो पाय।
दोऊ दुखी होन नहिं पावहिं धूमरि धौरी गाय।
यद्यपि मथुरा बिभव बहुत है तुम बिन कछु न सहाय।
सूरदास ब्रजवासी लोगनि भेंटत हृदय जुड़ाय।।