इत भायनि भाँवरे भौंर भरै
पीछेइत भायनि भाँवरे भौंर भरै उत चायनि चाहि चकोर चकैं।
निसि बासर फूलनि भूलनि मैं अति रूप की बात न ब्यौरि सकैं।
घनआनँद घूँघट-ओट भए तब बाबरे लौं चहुँ ओर तकैं।
पिय के मुख कौतुक देखि सखी, निज नैन बिसेष सुजान छकैं।
इत भायनि भाँवरे भौंर भरै उत चायनि चाहि चकोर चकैं।
निसि बासर फूलनि भूलनि मैं अति रूप की बात न ब्यौरि सकैं।
घनआनँद घूँघट-ओट भए तब बाबरे लौं चहुँ ओर तकैं।
पिय के मुख कौतुक देखि सखी, निज नैन बिसेष सुजान छकैं।