थोथे बादर क्वार के ज्यों रहीम घहरात
पीछे1. जैसी जाकी बुद्धि है तैसी कहै बनाय।
ताकों बुरो न मानिए लेन कहाँ सो जाय।।
2. जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे लगे बढ़े अँधेरो होय।।
3. जो रहीम गति दीप की सुत सपूत की होय।
बड़ो उजेरो तेहि रहे गए अँधेरो होय।।
4. थोथे बादर क्वार के ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए करै पाछिली बात।।
5. दादुर मोर किसान मन लग्यो रहै घन माँहि।
रहिमन चातक रटनि हू सरवर को कोउ नाहिं।।