पाती-मधि छाती-छत लिखि न लिखाए जाहिं
पीछेपाती-मधि छाती-छत लिखि न लिखाए जाहिं
काती लै बिरह घाती कीने जैसे हाल हैं।
आँगुरी बहकि तहीं पाँगुरी किलकि होति
ताती राती दसनि के जाल ज्वाल-माल हैं।
जान प्यारे जौब कहूँ दीजिए सँदेसो तौब
आँवाँ सम कीजियै जु कान तिहि काल हैं।
नेह-भीजी बातैं रसना पै उर-आँच लागैं
जागैं घनआनँद ज्यों पुंजनि मसाल हैं।।