नैना नैंक न मानहीं
पीछे1. नैना नैंक न मानहीं, कितौ कह्यौ समुझाइ।
तनु मनु हारैं हूँ हँसैं, तिन सौं कहा बसाइ।।
2. सरस सुमिल चित-तुरँग की करि करि अमित उठान।
गोइ निबाहैं जीतियै खेलि प्रेम-चौगान।।
3. इत तैं उत, उत तैं इतै, छिनु न कहूँ ठहराति।
जक न परति, चकरी भई, फिरि आवति फिरि जाति।।
4. ढरे ढार, तेहीं ढरत, दूजैं ढार ढरैं न।
क्यौं हूँ आनन आन सौं नैना लागत नै न।।
5. दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर-चित प्रीति।
परति गाँठि दुरजन-हियैं; दई, नई यह रीति।।