समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय

पीछे

1.    समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
        सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछिताय।।  


2.    समय लाभ सम लाभ नहिं, समय चूक सम चूक।
        चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक।।  


3.    सरवर के खग एक से, बाढ़त प्रीति न धीम।
        पै मराल को मानसर, एकै ठौर रहीम।।  


4.    सर सूखे पच्छी उड़ै, औरे सरन समाहिं।
       दीन मीन बिन पच्छ के, कहु रहीम कहँ जाहिं।।  


5.    स्वारथ रचन रहीम सब, औगुनहू जग माँहि।
        बड़े बड़े बैठे लखौ, पथ रथ कूबर छाँहि।। 

पुस्तक | रहीम रचनावली कवि | रहीम भाषा | ब्रजभाषा रचनाशैली | मुक्तक छंद | दोहा
विषय | नीति,