अंग अंग प्रतिबिंब परि दरपन सैं सब गात
पीछे1. लगी अनलगी सी जु बिधि करी खरी कटि खीन।
किए मनौ बैं हीं कसर कुच, नितंब अति पीन।।
2. बेंदी भाल, तँबोल मुँह, सीस सिलसिले बार।
दृग आँजे, राजै खरी एई सहज सिंगार।।
3. अंग अंग प्रतिबिंब परि दरपन सैं सब गात।
दुहरे, तिहरे, चौहरे; भूषन जाने जात।।
4. कर समेट कच भुज उलटि, खऐं सीस-पटु टारि।
काकौ मनु बांधै न यह जूरा-बाँधनहारि।।
5. भाल लाल बेंदी, ललन, आखत रहे बिराजि।
इंदुकला कुज मैं बसी मनौ राहु-भय भाजि।।