छुटै न लाज, न लालचौ प्यौ लखि नैहर-गेह
पीछे1. नैंकौ उहिं न जुदी करी, हरषि जु दी तुम माल।
उर तैं बासु छुट्यौ नहीं दास छुटैं हूँ, लाल।।
2. इन दुखिया अँखियानु कौं सुखु सिरज्यौई नाँहि।
देखैं बनै न देखतै, अनदेखैं अकुलाँहि।।
3. नई लगनि, कुल की सकुच बिकल भई अकुलाइ।
दुहूँ ओर ऐंची फिरति, लौं दिनु जाइ।।
4. छुटै न लाज, न लालचौ प्यौ लखि नैहर-गेह।
सटपटात लोचन खरे भरे सकोच, सनेह।।
5. समरस-समर-सकोच-बस-बिबस न ठिक ठहराइ।
फिरि फिरि उझकति, फिरि दुरति, दुरि दुरि उझकति आइ।।
6. करे चाह सौं चुटकि कै खरैं उड़ौहैं मैन।
लाज नवाऐं तरफरत, करत खूँद सी नैन।।