लिखन बैठि जाकी सबी
पीछे1. डीठि न परतु समान-दुति कनकु कनक सैं गात।
भूषन कर करकस लगत परसि पिछाने जात।।
2. पहिरि न भूषन कनक के, कहि आवत इहिं हेत।
दरपन के से मोरचे, देह दिखाई देत।।
3. सहज सेत पँचतोरिया पहिरत अति छबि होति।
जलचादर के दीप लौं जगमगाति तन-जोति।।
4. लिखन बैठि जाकी सबी गहि गहि गरब गरूर।
भए न केते जगत के चतुर चितेरे कूर।।
5. भाल-लाल बेंदी-छए छुटे बार छबि देत।
गह्यौ राहु, अति आहु करि, मनु ससि सूर-समेत।।