रहिमन असमय के परे, हित अनहित ह्वै जाय
पीछे1. रहिमन असमय के परे, हित अनहित ह्वै जाय।
बधिक बधै मृग बानसों, रुधिरे देत बताय।।
2. रहिमन आँटा के लगे, बाजत है दिन राति।
घिउ शक्कर जे खात हैं, तिनकी कहा बिसाति।।
3. रहिमन कठिन चितान ते, चिंता को चित चेत।
चिता दहति निर्जीव को, चिंता जीव समेत।।
4. ये रहीम फीके दुवौ, जानि महा संतापु।
ज्यों तिय कुच आपुन गहे, आप बड़ाई आपु।।
5. रहिमन कुटिल कुठार ज्यों, करत डारत द्वै टूक।
चतुरन के कसकत रहे, समय चूक की हूक।।