चंद चकोर की चाह करै
पीछेचंद चकोर की चाह करै घनआनँद स्वाति पपीहा कौं धावै।
त्यौ त्रसरैनि के ऐन बसै रबि मीन पै दीन ह्वै सागर आवै।
मोसों तुम्हैं सुनौ जान कृपानिधि नेह निबाहिबो यौं छबि पावै।
ज्यौं अपनी रुचि राचि कुबेर सु रंकहि लै निज अंक बसावै।।
चंद चकोर की चाह करै घनआनँद स्वाति पपीहा कौं धावै।
त्यौ त्रसरैनि के ऐन बसै रबि मीन पै दीन ह्वै सागर आवै।
मोसों तुम्हैं सुनौ जान कृपानिधि नेह निबाहिबो यौं छबि पावै।
ज्यौं अपनी रुचि राचि कुबेर सु रंकहि लै निज अंक बसावै।।