प्रीतम छबि नैननि बसी पर छबि कहाँ समाय
पीछे1. प्रीतम छबि नैननि बसी पर छबि कहाँ समाय।
भरी सराय रहीम लखि पथिक आप फिरि जाय।।
2. रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले मिले गाँठ परि जाय।।
3. यहु न रहीम सराहिए लेन-देन की प्रीत।
प्रानन बाजी राखिए हारि होय के जीत।।
4. रहिमन खोजे ऊख में जहाँ रसन की खानि।
जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं यही प्रीति में हानि।।
5. टूटे सुजन मनाइये जो टूटे सौ बार।
रहिमन फिर फिर पोइये टूटे मुक्ताहार।।