सीस-मुकुट, कटि-काछनी
पीछे1. नाह गरजि नाहर-गरज, बोलु सुनायौ टेरि।
फँसी फौज मैं बंदि-बिच, हँसी सबनु तनु हेरि।।
2. रबि बंदी कर जोरि, ए सुनत स्याम के बैन।
भए हँसौंहैं सबनु के अति अनखौंहैं नैन।।
3. नितप्रति एकत ही रहत, बैस-बरन-मन एक।
चहियत जुगलकिसोर लखि लोचन-जुगल अनेक।।
4. हरि, कीजति बिनती यहै तुम सौं बार हजार।
जिहिं तिहिं भाँति डर्याै रह्यौ पर्याै रहौं दरबार।।
5. सीस-मुकुट, कटि-काछनी, कर-मुरली, उर-माल।
इहिं बानक मो मन सदा बसौ, बिहारी लाल।।