काहे को रोकत मारग सूधो
पीछेकाहे को रोकत मारग सूधो ?
सुनहु मधुप ! निर्गुन कंटक तें राजपंथ क्यों रूँधो ?
कै तुम सिखै पठाए कुब्जा, कै कही स्यामघन जूधौ।
बेद पुरान सुमृति सब ढूँढ़ो जुवतिन जोग कहूँ धों ?
ताको कहा परेखो कीजै जानत छाछ न दूधो।
सूर मूर अक्रूर गए लै ब्याज निबेरत ऊधों।।