नाउँ सुनत हीं ह्वै गयौ तनु औरै, मनु और
पीछे1. हितु करि तुम पठयौ, लगैं वा बिजना की बाइ।
टली तपति तन की, तऊ चली पसीना-न्हाइ।।
2. ध्यान आनि ढिग प्रानपति रहति मुदित दिन राति।
पलकु कँपति, पुलकति पलकु, पलकु पसीजति जाति।।
3. गड़ी कुटुम की भीर मैं रही बैठि दै पीठि।
तऊ पलकु परि जाति इत सलज, हँसौंही डीठि।।
4. नाउँ सुनत हीं ह्वै गयौ तनु औरै, मनु और।
दबै नहीं चित चढ़ि रह्यौ अबै चढ़ाऐं त्यौर।।
5. लाज-लगाम न मानहीं, नैना मो बस नाहिं।
ए मुँहजोर तुरंग ज्यौं, ऐंचत हूँ चलि जाहिं।।