सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली

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सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली।
कहौ कान्ह अजान भए बन में कहूँ माँगत दान कि छेकि गली।
मग आइ कै जाइ रिसाइ कहा तुम एकऊ बात कही न भली।
हम हैं बृषभानपुरा की लली अब गोरस बेचन जात चली।।

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