लिखी रहीम लिलार में, भई आन की आन
पीछे1. रहिमन दुरदिन के परे, बड़ेन किए घटि काज।
पाँच रूप पांडव भए, रथवाहक नल राज।।
2. लिखी रहीम लिलार में, भई आन की आन।
पद कर काटि बनारसी, पहुँचे मगरु स्थान।।
3. लोहे की न लोहार की, रहिमन कही विचार।
जो हनि मारे सीस में, ताही की तलवार।।