रहिमन अँसुआ नयन ढरि जिय दुख प्रगट करेइ
पीछे1. रहिमन अँसुआ नयन ढरि जिय दुख प्रगट करेइ।
जाहि निकारो गेह ते कस न भेद कहि देइ।।
2. रहिमन याचकता गहे बड़े छोट ह्वै जात।
नारायण हू को भयो बावन अंगुर गात।।
3. रहिमन वे नर मर चुके जे कहुँ माँगन जाहिं।
उनते पहिले वे मुए जिन मुख निकसत नाहिं।।
4. आदर घटे नरेस ढिंग, बसे रहे कछु नाहिं।
जो रहीम कोटिन मिले, धिग जीवन जग माहिं।।
5. ए रहीम दर दर फिरहिं, माँगि मधुकरी खाहिं।
यारो यारी छोड़िये वे रहीम अब नाहिं।।