आए जोग सिखावन पाँड़े
पीछेआए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे ज्यों बनजारे टाँड़े।
हमरी गति पति कमलनयन की जोग सिखै ते राँड़े।
कहो, मधुप, कैसे समायँगे एक म्यान दो खाँड़े।
कहु षटपद कैसे खैयतु है हाथिन के सँग गाँड़े।
काकी भूख गई बयारि भखि बिना दूध घृत माँड़े।
काहे को झाला लै मिलवत, कौन चोर तुम डाँड़े।
सूरदास तीनों नहिं उपजत धनिया, धान, कुम्हाड़े।।