आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग

पीछे

आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग
           अंग अंग रंगनि अनंग सरसाइगो।
कुंकुम की मार वा पै रंगनि उछार उड़ै
    बुक्का और गुलाल लाल लाल तरसाइगो।
छोड़ै पिचकारिन धमारिल बिगोइ छोड़ै
        तोड़ै हियहार  धार रंग बरसाइगो।
रसिक सलोनो रिझवार रसखानि आज
       फागुन में औगुन अनेक दरसाइगो।।  

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