जे गरीब पर हित करैं ते रहीम बड़ लोग

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1.    जे गरीब पर हित करैं ते रहीम बड़ लोग।
        कहाँ सुदामा बापुरो कृष्ण मिताई जोग।।

 

2.    कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
        बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।। 

 

3.    जलहिं मिलाय रहीम ज्यों, कियो आपु सम छीर।
        अँगवहि आपुहि आप त्यों, सकल आँच की भीर।। 

 

4.    दुरदिन परे रहीम कहि, भूलत सब पहिचानि।
        सोच नहीं वित हानि को, जो न होय हित हानि।। 

 

5.    मथत मथत माखन रहै, दही मही बिलगाय।
        रहिमन सोई मीत है, भीर परे ठहराय।। 

 

6.    रहिमन प्रीति न कीजिए, जस खीरा ने कीन।
        ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फाँकें तीन।।

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