अधर धरत हरि कैं
पीछे1. अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति।
हरित बाँस की बाँसुरी इंद्रधनुष-रंग होति।।
2. सोहत ओढ़ैं पीत पटु स्याम, सलौनैं गात।
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।।
3. डिगत पानि डिगुलात गिरि लखि सब ब्रज बेहाल।
कंपि किसोरी दरसि कै, खरैं लजाने लाल।।
4. गोपिनु सँग निसि सरद की रमत रसिकु रस-रास।
लहाछेह अति गतिनु की सबनु लखे सब-पास।।