दीरघ साँस न लेहि दुख
पीछे1. नीकी दई अनाकनी, फीकी परी गुहारि।
तज्यौ मनौ तारन-बिरदु बारक बारनु तारि।।
2. जम-करि-मुँह-तरहरि पर्यौ, इहिं धरहरि चित लाउ।
विषय-तृषा परिहरि अजौं नरहरि के गुन गाउ।।
3. दीरघ साँस न लेहि दुख, सुख साईं हि न भूलि।
दई दई क्यौं करतु है, दई दई सु कबूलि।।
4. बंधु भए का दीन के, को तार्यौ, रघुराइ।
तूठे तूठे फिरत हौ झूठे बिरद कहाइ।।
5. थोरैं ही गुन रीझते, बिसराई वह बानि।
तुमहूँ, कान्ह, मनौ भए आजकाल्हि के दानि।।