राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख
पीछेराति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख
कहा कहौं गति या बियोग बजमारे की।
लियो घेरि औचक अकेलो कै बिचारी जीव
कछु न बसाति यौं उपाय-बल-हारे की।
जान प्यारे लागौ न गुहार तौ जुहार करि
जूझिहै निकसि टेक गहे पन धारे की।
हेत-खेत धूरि चूर-चूर ह्वै मिलैगो तब
चलैगी कहानी घनआनँद तिहारे की।।