वा मुसकान पै प्रान दियो
पीछेवा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै प्यारी।
मान दियो मन मानिक के सँग वा मुख मंजु पै जोबनवारी।
वा तन को रसखानि पै री तन ताहि दियो नहि आन बिचारी।
सो मुँह मोड़ि करी अब का हहा लाल लै आज समाज मैं ख्वारी।।
वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै प्यारी।
मान दियो मन मानिक के सँग वा मुख मंजु पै जोबनवारी।
वा तन को रसखानि पै री तन ताहि दियो नहि आन बिचारी।
सो मुँह मोड़ि करी अब का हहा लाल लै आज समाज मैं ख्वारी।।