आज भटू इक गोपवधू

पीछे

आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै।
मात अघात न देवनि पूजत सासु सयानी सयानी पुकारै।
यों रसखानि घिर्यो सिगरो ब्रज कौन को कौन उपाय बिचारै।
कोउ न कान्हर के कर तें वह बैरिनि बाँसुरिया गहि जारै।।
 

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