आस ही अकास मधि
पीछेआस ही अकास मधि अवधि गुनै बढ़ाय
चोपनि चढ़ाय दीनौ कीनौ खेल सो यहै।
निपट कठोर ये हो ऐचत न आप ओर
लाडिले सुजान सों दुहेली दसा को कहै।
अचिरजमई मोहिं भई घनआनंद यौं
हाथ साथ लाग्यौपै समीप न कहूँ लहै।
बिरह समीर की झकोरनि अधीर, नेह-
नीर भीज्यौ जीव तऊ गुड़ी लौ उड़्यौ रहै।।